विशाल विचार से रिज़वान अंसारी विशेष संवाददाता लखनऊ मण्डल
बिलग्राम(हरदोई) हर साल की तरह इस साल भी गुलशन वासती में कुदरती अलम कि जियारत करवाई गई जिस की सरपरस्ती काजी ए शरआ जिला हरदोई हजरत मौलाना सैयद उवैस मुस्तफा वासती व सैयद बादशाह हुसैन वासती ने की - मान्यता है कि बिलग्राम के सूफी बुजुर्ग सैयद उल आरफीन हजरत सैयद लुत्फुल्लाह उर्फ शाहलद्दा वासती बिलग्रामी इसको कर्बला से लेकर आए थे जब आप कर्बला से हिंदुस्तान तशरीफ लाये तो वो मोहर्रम की 7 तारीख थी इसीलिए इसकी 7 मोहर्रम को जियारत (दर्शन) करवाई जाती हैं इस अलम की विशेषता ये है कि इसमें हर धर्म समुदाय के लोग शामिल होते हैं और अपनी मन्नतें मानते हैं
इस अलम की विशेषता पर किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
*आलम तो और भी होंगे मगर ये भी अलम देखो*
जिसे जैहरा के लालो ने अपने हाथों उठाया है- भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरीके से मुस्तैद रहा और नगर पालिका परिषद बिलग्राम ने भी अपना काम बखूबी अंजाम दिया
जुलूस में प्रमुख रूप से अंजुमन गुलामान ए रसूल के संरक्षक सैयद फैजान मुस्तफा वासती हजरत मौलाना सैयद अनस हुसैन- अब्दुल अली गुफरान हुसैन आदि उपस्थित रहेकुदरती अलम की कराई गई जियारत
*कुदरती अलम की कराई गई ज़ियारत*
मोहर्रम की सातवीं तारीख को बिलग्राम कस्बे के मोहल्ला मैदानपुरा में कुदरती अलम शरीफ की जियारत करवाई जाती है जिसे देखने के लिए आसपास इलाके के अलावा दूर दूर से लोग यहाँ चल कर अपनी अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और कुदरती अलम में मन्नत का धागा बांध कर उसके तवससुल से दुआएं मांगते हैं ये अलम डाक्टर बादशाह हुसैन वास्ती की सरपरस्ती में उठाया जाता है जिनके साथ में मोहल्ला मैदानपुरा से काफी तादाद में अकीदतमंदो का जमावड़ा रहता है आज को दोपहर 2बजे से इस अलम शरीफ को पुरखों से चले आ रहे तौर तरीकों से बादशाह हुसैन वास्ती ने गुस्ल दिला कर अलम शरीफ की आये हुए हजारों की संख्या में अकीदतमंदो को जियारत कराई उसी मोहल्ले में रह रहे कई अकीदतमंदो ने लंगर भी तकसीम किया आढती जाफर ने अपने मकान के बाहर हर आने जाने वाले शख्स को हलीम बांटा बताया जाता है कि ये अलम शरीफ को कर्बला में बहत्तर शहीदों में शहीद हजरत अब्बास अलमदार के अलम का ऊपरी हिस्सा है जो गुंबद नुमा दिखाई देता है ये अलम बिलग्राम के कामिल वली सय्यद लुतफुल्लाह उर्फ लदह मियां को मोहर्रम की सातवीं तारीख को कर्बला में मिला था जब आप मक्का मदीना कर्बला और दीगर मकामात की जियारत कर अपने वतन वापस आये थे जब आप अपने वतन बिलग्राम पहुंचे तो वो तारीख भी सातवीं मोहर्रम की थी इसलिए आज भी सातवीं तारीख को इस अलम की जियारत कराने का सिलसिला पुरखों से चला आ रहा है जिसमे अन्जुमन आजाए हुसैन मातम करती हुई अपने कदीमी रास्ते से गई जिसमें नोहाखानी जनाब अरक़म बिलग्रामी परवेज बिलग्रामी अरबाज़ अली बिलग्रामी हसन अस्करी बिलग्रामी ने अपनी मख्सूस अंदाज में नोहाखानी की जिसमे वही बज्मे हुसैनिया ने भी मातम किया और अन्जुमन के साथ पहुंचे सैफ अली जाफरी अफसर अली रेहान रिज़वी अरबाज़ अली अमीरुल असगर हैदर मेहंदी आदि लोगों ने मातम में हिस्सा लिया।